नई दिल्ली । दिल्ली पर नियंत्रणम के लिए केंद्र और राज्य सरकार के बीच जारी गतिरोध को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई । इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखते हुए कहा कि उसे दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण करने की जरूरत इसलिए है क्योंकि वह राष्ट्रीय राजधानी और देश का चेहरा है। इस मुद्दे पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बोले - दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की शासन प्रणाली में विधानसभा और मंत्रिपरिषद होने के बावजूद, आवश्यक रूप से केंद्र सरकार की केंद्रीय भूमिका होनी चाहिए । मेहता ने कहा कि यह किसी विशेष राजनीतिक दल के बारे में नहीं है।
दुनिया भारत को दिल्ली के जरिए देखती है
असल में सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही है जिसमें दिल्ली पर केंद्र सरकार के नियंत्रण को चुनौती दी गई है । इस मामले की कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा - दिल्ली देश का चेहरा है दुनिया भारत को दिल्ली के जरिए देखती है । उन्होंने कहा कि जितने भी देशों के विदेशी प्रतिनिधिमंडल और राष्ट्राध्यक्ष जो भी भारत आते हैं , वो देश की राजधानी के रूप में दिल्ली को देखते हैं । दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है इसलिए यह आवश्यक है कि लोक सेवकों की नियुक्ति और स्थानांतरण की शक्ति केंद्र के पास हो ।
केंद्र का प्रशासन पर विशेष अधिकार हो
सॉलिसिटर जनरल ने इस दौरान कहा - राष्ट्रीय राजधानी होने के चलते यह जरूरी है कि केंद्र का इसके प्रशासन पर विशेष अधिकार हो । इतना ही नहीं केंद्र का दिल्ली के महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियंत्रण हो । सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर किसका नियंत्रण होना चाहिए इस मुद्दे की व्यापक व्याख्या के लिए इसे संवैधानिक पीठ को सौंपा जाना चाहिए ।
...वहां भी प्रशासन केंद्र सरकार के अधीन
इस दौरान उन्होंने कहा - पूर्व में केंद्र सरकार ने एस बालकृष्णन की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी, जिसने दुनियाभर की राजधानियों के प्रशासन का अध्ययन किया था। उस दौरान पाया गया था कि राजधानियों का प्रशासन केंद्र सरकार के अधीन ही है । इसी तरह राजधानी का विशिष्ट दर्जा होने से यहां भी प्रशासन पर केंद्र सरकार विशेषाधिकार होना आवश्यक है ।